Wednesday 23 December 2020

अन्ना केरेनिना: रूसी उपन्यासकार लेव टॉल्स्टॉय का एक कालजयी उपन्यास

'अन्ना केरेनिना' एक सामंती घराने की अत्यंत सौंदर्यवती विवाहित स्त्री की मर्मांतक त्रासद गाथा है। उपन्यास की नायिका 'अन्ना केरेनिना' का जीवन, पति और प्रेमी के मध्य प्रेम की लालसा में झूलता रहता है। पति और प्रेमी के संग मिलकर वह अनबूझ प्रेम का त्रिकोणात्मक परिवेश बुनती है।

 

'अन्ना केरेनिना' एक सामंती घराने की अत्यंत सौंदर्यवती विवाहित स्त्री की मर्मांतक त्रासद गाथा है। उपन्यास की नायिका 'अन्ना केरेनिना' का जीवन, पति और प्रेमी के मध्य प्रेम की लालसा में झूलता रहता है। पति और प्रेमी के संग मिलकर वह अनबूझ प्रेम का त्रिकोणात्मक परिवेश बुनती है। वह जीवन पर्यंत अपने आभिजात्य और सामंती समाज के वैभव में व्यक्तिगत कामनाओं और नैतिक मूल्यों के बीच मानसिक अंतर्द्वंद्व को झेलते झेलते भयानक त्रासद अंत को प्राप्त होती है।

 

इस उपन्यास की नायिका 'अन्ना आर्केडेवना केरेनिना' काउंट (जमींदार) अलेक्सी अलेक्ज़ेंड्रोविच केरेनिन की पत्नी है। अलेक्सी केरेनिन उम्र में अन्ना से बीस वर्ष बड़ा है। अलेक्सी केरेनिन, पत्नी अन्ना और आठ वर्ष की आयु के पुत्र सेर्योजा अलेक्सीविच केरिनीन (सेर्गे) के साथ सेंट पीटर्सबर्ग में अपने सामंती परिवेश में वैभवपूर्ण जीवन बिताता है।

 

'काउंट अलेक्सी किरिलोविच व्रान्स्की' इस उपन्यास का नायक है जो कि आकर्षक व्यक्तित्व का धनी, सुंदर स्त्रियों के लिए सम्मोहक पेशे से फौजी (कर्नल) है। वह सेंट पीटर्सबर्ग के विलासी प्रीति-भोजों का अभिन्न हिस्सा है और हमेशा युवतियों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है।

 

अन्ना और व्रान्स्की के प्रेम संबंधों के समानान्तर 'लेविन और किटी' के प्रेम और विवाह की अंतर्कथा भिन्न धरातल पर पनपती है। लेविन का चरित्र अन्ना के चरित्र के साथ-साथ पल्लवित होता है किन्तु दोनों में एक विशेष अंतर बना रहता है।

Leo Tolstoy

ऐसा माना गया कि 'लेविन' के चरित्र में टॉल्स्टाय का व्यक्तित्व झलकता है। अन्ना, अलेक्सी और कर्नल व्रान्स्की का प्रेम त्रिकोण ही इस उपन्यास की मूल समस्या है जो कि पाठकों को गहराई से व्याकुल करता है।

 

अन्ना केरेनिना का कर्नल व्रान्स्की के साथ विवाहेतर प्रेम संबंध की जटिलता ही उपन्यास के कथानक का आधार है। अभिजात उच्चवर्ग की परंपरावादी वैवाहिक जीवन के बंधनों को तोड़कर अन्ना केरेनिना, व्रान्स्की के प्रेम जाल में चाहते हुए भी फँसती जाती है।

 

व्रान्स्की के व्यक्तित्व का चुम्बकीय सम्मोहन अन्ना केरेनिना को अपनी और खींचता चला जाता है जिसे प्रारम्भ में दृढ़तापूर्वक ठुकराकर भी वह हारकर व्रान्स्की के प्रेम में अपना सर्वस्व समर्पित कर देती है। पति अलेक्सी केरेनिन और उसके अभिजात समाज की मर्यादाओं की अवहेलना करते हुए, पहले छिपकर और फिर उन्मुक्त रूप से वह व्रान्स्की से अपने संबंधों को पति अलेक्सी के सम्मुख स्वीकार करती है। 

व्रान्स्की और अन्ना का उन्मुक्त और उच्छृंखल प्रेम रूसी संभ्रांत समाज में खलबली मचा देता है। अन्ना, पति अलेक्सी और पुत्र सेर्गी के प्रति भी अपनी वफादारी कायम रखना चाहती है किन्तु वह व्रान्स्की के प्रेम पाश में इस तरह जकड़ी जाती है कि वह अंतर्द्वंद्व में पड़कर अपना सर्वनाश कर लेती है।

 

अन्ना और व्रान्स्की उपन्यास के आरंभ में जब पहली बार मास्को रेल स्टेशन पर मिलते हैं तब रेल के नीचे दुर्घटनावश एक रेल मजदूर की मृत्यु हो जाती है। रेल की इस दुर्घटना के प्रति अन्ना के मन में विशेष प्रकार का भय समा जाता है। इस दुर्घटना और मृत्यु के वीभत्स दृश्य को अपने लिए अन्ना अशुभ मानती है।

 

अन्ना का वैवाहिक जीवन नीरसता से बोझिल है क्योंकि उसका पति अलेक्सी केरेनिन बेहद ठंडा और नीरस किस्म का प्रशासनिक अधिकारी है। उसे राजकार्य के प्रति निष्ठा और समर्पण के सिवाय अपनी तरुण पत्नी की आकांक्षाओं का लेश मात्र भी अनुमान नहीं होता। अन्ना के प्रति उपेक्षा का भाव उससे दूरी का कारण बन जाता है।


कर्नल व्रान्स्की और अन्ना की भेंट एक प्रीति भोज में बॉल डांस के समय होती है। व्रान्स्की बॉल डांस के लिए अन्ना को आमंत्रित करता है जिसे अन्ना सहर्ष स्वीकार करती है। यहाँ व्रान्स्की का केवल एक स्पर्श अन्ना को उसके मदमाते प्रेम के आगोश में ले लेता है।

 

यहाँ से अन्ना के दस वर्षों के वैवाहिक जीवन की दिशा बादल जाती है। उसे व्रान्स्की का स्पर्श और बढ़ता हुआ उत्साह उत्तेजित करता जाता है। व्रान्स्की और अन्ना मानसिक और शारीरिक रूप से एक दूसरे के करीब होते जाते हैं। पति अलेक्सी अन्ना के इस अनैतिक आचरण से क्षुब्ध हो उठता है।

 

एक दिन अन्ना अपनी दस वर्षों की गृहस्थी, लाड़ला बेटा (सेर्गी), सब कुछ छोड़कर प्रियतम व्रान्स्की के घर चली जाती है। अन्ना का यह व्यवहार उच्चवर्गीय संभ्रांत स्त्रियों के उपहास और चर्चा का विषय बन जाता है। व्रान्स्की के इस तरह एक धनाढ्य विवाहित स्त्री के मोह में पड़कर अपनी मान मर्यादा को खो देने से उसके परिवार के लोग भी असन्तुष्ट हो जाते हैं।

 

इधर अलेक्सी, अन्ना को तलाक नहीं देना चाहता। यह स्थिति अन्ना के लिए और भी अधिक जटिल और हास्यापाद हो जाती है। व्रान्स्की इस स्थिति में अन्ना का साथ निभाता है। अन्ना एक लड़की को जन्म देती है। पति के द्वारा तिरस्कृत होकर व्रान्स्की के साथ रहते रहते वह मानसिक और शारीरिक रूप से मृतप्राय हो जाती है।

 

ऐसी स्थिति में वह पति से क्षमा याचना कर उसे मृत्यु के मुख से बचा लेने की गुहार करती है। अलेक्सी अपनी बीमार पत्नी से मिलने आता है। अलेक्सी, व्रान्स्की की बेबसी को देखकर भावुक हो उठता है। अन्ना का चरित्र इतना गूढ़ और सुकोमल है कि दोनों पुरुषों (एक पति और दूसरा प्रेमी) की आँखों से अन्ना के लिए आँसू बहने लगते हैं।

 

अन्ना अपने प्रेमी व्रान्स्की का हाथ पति अलेक्सी के हाथों में देकर, वह अपने प्रेमी को क्षमा करने के लिए कहकर बेहोश हो जाती है। तीन दिनों तक वह उसी बेहोश अवस्था में पड़ी रहती है। अलेक्सी पत्नी को उस हालत में छोड़कर नहीं जाना चाहता और व्रान्स्की को क्षमा कर देता है। व्रान्स्की से हुई अन्ना की बेटी को वह साथ लेकर चला जाता है।

 

लेक्सी के हृदय की महानता और उदारता से व्रान्स्की लज्जित होता है। अलेक्सी के चरित्र की उदारता में व्रान्स्की अपना पतन महसूस करता है। इस क्षोभ भरी मानसिकता में व्रान्स्की आत्महत्या के प्रयास में स्वयं को गोली मार लेता है लेकिन निशाना चूक जाने से वह बच जाता है। व्रान्स्की के इस आत्मदान से अन्ना के मन में व्रान्स्की के लिए फिर से प्रेम जाग उठता है।

 

अन्ना और व्रान्स्की के इस अटूट बंधन को देखकर अलेक्सी अन्ना को तलाक देने के लिए तैयार हो जाता है। अन्ना और व्रान्स्की अपने भावी सुखी जीवन के सपने देखने लगते हैं। वे दोनों इटली प्रवास के लिए निकल पड़ते हैं। अन्ना फिर बदलने लगती है उसे व्रान्स्की भी चाहिए किन्तु अलेक्सी से अब वह तलाक नहीं चाहती।

 

पुत्र सेर्गी के प्रति उसकी ममता उसे बेचैन करती है। पति और पुत्र का विछोह भी वह नहीं सह सकती। वह उस विरह-व्यथा और टूटते संबंधों के दुःख को अपने उच्छृंखल आचरण से नियंत्रित नहीं कर पाती। इसीलिए वह व्रान्स्की के प्रेम में भी सुखी नहीं रह सकती। यही उसकी मनोवैज्ञानिक विवशता है।

 

निरंतर अंतर्द्वंद्व से जूझती हुई अन्ना का जीवन एक अनिश्चित भविष्य के अंधकार में खो जाता है। उसकी अनिर्णय की मनोदशा उसे दयनीय बना देती है। उसका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। उसके मन में आक्रोश और आत्मपीड़न का भाव जागने लगता है। व्रान्स्की भी उसके इस दोहरे द्वंद्वयुक्त व्यवहार का रहस्य नहीं समझ पाता।

 

अतिशय भावावेश में पुत्र की याद से बेचैन अन्ना उसके जन्म दिन के अवसर पर अकस्मात पति के घर पहुँचकर पुत्र को गले लगा लेती है किन्तु इस अवांछित अनधिकृत घुसपैठ के लिए वह पति द्वारा अपमानित होकर द्वेष के साथ घर से बाहर निकल जाती है।

 

उपन्यास का उत्तरार्ध अन्ना के जीवन के विध्वंस और विनाश की सिलसिलेवार घटनाओं से भरा पड़ा है।

 

असुरक्षा, भय, अलगाव और अकेलापन अन्ना को उत्पीड़ित करने लगते हैं। वह व्रान्स्की से पल भर के लिए भी अलग नहीं होना चाहती। व्रान्स्की से क्षण भर दूरी से भी वह व्रान्स्की के प्रति शंकालु हो जाती है।

 

रह-रहकर उसके मन में व्रान्स्की के अन्य स्त्रियों के साथ संबंधों की कल्पनाएँ उसे अशांत कर असमान्य मनोरोग का शिकार बना देती है। अन्ना अपने भीतर अतृप्ति और रिक्तता का अनुभव करने लगती है। अपने इर्द गिर्द के अन्य स्त्रियों का सुखी दांपत्य जीवन उसके लिए ईर्ष्या का कारण बनने लगता है।

 

धीरे-धीरे अन्ना और व्रान्स्की के आत्मीय संबंधों में दरार पड़ने लगती है। व्रान्स्की की रोमांटिक और प्रभावशाली छवि से आक्रांत अन्ना उसके व्यवहार के प्रति सशंकित होकर उससे झगड़ने लगती है। व्रान्स्की भी अब अन्ना के इस व्यवहार से दुःखी हो जाता है। रूढ़िवादी पारंपरिक नैतिकतावादी रूसी समाज में व्रान्स्की की छवि धूमिल होती जाती है।

 

अन्ना को पता चलता है कि व्रान्स्की की माँ अपने संबंधियों में एक राज-कन्या से उसका विवाह निश्चित करने का प्रयत्न कर रही है। इससे अन्ना और व्रान्स्की में ज़बर्दस्त मनमुटाव हो जाता है। अन्ना वास्तविकता से अलग हो जाती है। उसे सारा संसार षडयंत्रकारी, दुष्ट और विनाशकारी प्रतीत होता है।

 

इन स्थितियों में व्रान्स्की को रेल स्टेशन पर हुई अन्ना से प्रथम मुलाक़ात याद आती है। इस संदर्भ में टॉल्स्टाय ने लिखा है - "उस पहली मुलाक़ात में वह रहस्यमयी, प्रफुल्लित, सुंदर और प्रेम करने वाली, खुद जीवन का आनंद लूटने वाली और दूसरों को भी खुश कर देने वाली लगी, परंतु अब उसकी जगह ईर्ष्या करने वाली, बदले की आग में जलने वाली अन्ना कोई दूसरी ही थी।"

 

उपन्यास के अंतिम अध्याय में परिवारों में उत्पन्न होने वाले विवाद और उनसे होने वाली जीवन की क्षति को टॉल्स्टाय ने अत्यंत सुंदर ढंग से चित्रित किया है। अन्ना अपने प्रेमी के प्रति प्रतिशोध की आग में जलने लगती है। वह प्रतिज्ञा करती है कि वह उससे बदला लेगी। अन्ना स्वयं से और इस संसार से नाराज़ होकर आखिर रेलगाड़ी के नीचे गिरकर आत्महत्या कर लेती है और अपने सारे दुखों से मुक्त हो जाती है।

 

अंत में व्रान्स्की की माँ कहती है - "इस स्त्री की मृत्यु भी कितनी हीन, भयावह और घृणित थी। मरते समय भी वह सुख नहीं पा सकी। उसने दो पुरुषों को अपने जीवन में प्राप्त करना चाहा, उन्हें हमेशा के लिए दुःख देकर वह चली गई।"

The End

Note-This story of novel Anna Karenina written by Leo Tolstoy, has been copied from net. Photos are also copied from net, to beautify the visual effect of story. Blogger has no claim over story and photos. With thanks to original artists.

 

  















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