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Tuesday 7 June 2022

‘Lust for life’ विन्सेंट वैन गोघ की जीवनी:- विनसेंट वान गफ ने जिस पिस्तौल से खुदकुशी की थी, वह सवा करोड़ रुपए में नीलाम हुई।अपनी मौत के बाद विख्यात होने वाले डच चित्रकार विनसेंट वान गफ

 Lust for life विन्सेंट वैन गोघ की जीवनी:-- इसी जीवन पर लिखा इरविंग स्टोन का उपन्यास लस्ट फॉर लाइफ दुनिया के चर्चित उपन्यासों में से है.


भविष्य के महान कलाकार का जन्म 30 मार्च, 1853 को ज़ुंडर्ट शहर में हुआ था, जो हॉलैंड में स्थित है। गफ ने 1890 में पेट में गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी।


विन्सेंट वैन गोघ का यह जीवन छोटा, लेकिन विराट है.

20वीं सदी की आधुनिक चित्रकला पर वॉन गॉग की कूची की ऐतिहासिक और अमिट छाप है. नीदरलैंड के इस चित्रकार की पेंटिंग जितनी क्रांतिकारी रही उतना ही जीवन भी.

लस्ट फॉर लाइफ की कल्पना के साकार होने और उसके प्रकाशन तक पहुंचने की कथा भी एक व्यथा ही है. एक किताब के इतिहास तक पहुंचने की संघर्ष यात्रा है. वॉन गॉग के विराट जीवन को किताब के पन्नों में समाहित करने की प्रक्रिया आसान नहीं रही है.

 

वह साल 1926 था जब यूनवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया, बर्कले से स्नातक युवक इरविंग स्टोन पेरिस में एक गुमनाम डच पेंटर विसेंट वॉन गॉग की पेंटिंग एग्जीबिशन देखने पहुंचा. स्टोन उस समय नाट्य लेखन की ट्रेनिंग के लिए 15 महीने पेरिस में था.

 

लेकिन जब इस डज पेंटर की पेंटिंग्स देखकर लौटा तो दिलो-दिमाग से वॉन गॉग को निकाल नहीं पाया. तस्वीरों के रंग भीतर चढ़ चुके थे और चित्रकार का जीवन आत्मा को उद्वेलित करने लगा.

बस यहीं से शुरू हुई लस्ट फॉर लाइफ की यात्रा. इरविंग ने अमेरिका में विेसेंट के जीवन को दुनिया के सामने लाने की ठानी. लेकिन यह दुर्गम था. इरविंग के लिए यह महाजीवन विश्व मानचित्र पर उकेरना आसान नहीं था.

 

पैसों की तंगी, आर्थिक हालात, भरोसा इरविंग के सामने चुनौती थे. उन्होंने लगातर छह अपराध कथाएं लिखीं और पांच कहानियां बेचकर विसेंट के जीवन पर यूरोप में रहकर छह माह शोध किया. लस्ट फॉर लाइफ को इरविंग अपने हद्य से सींचा. पांडुलिपी तैयार थी लेकिन प्रकाशक नहीं.

 

यह विराट जीवन यात्रा शुरुआत में कठिनाइयों भरी रही.

इरविंग स्टोन खुद विन्सेंट के जाने के तेरह साल बाद पैदा हुए थे और जब उन्होंने इस किताब को लिखना शुरू किया था, विन्सेंट को मरे करीब चालीस साल हो चुके थे.

 

यह एक सच्चाई है कि किस्सों और अफवाहों की भूखी दुनिया में किसी भी मृत व्यक्ति को लेकर इतने अरसे में बहुत सारे सच-झूठ स्थापित हो चुके होते हैं. जाहिर है विन्सेंट के जीवन में घटी एक-एक घटना के दर्जनों संस्करण तब तक बन चुके होंगे.

 

सत्ताईस-अट्ठाईस साल के युवा इरविंग स्टोन ने कुछ साल यूरोप में बिताने और शोध कर चुकने के बाद ही विन्सेंट की जीवनी लिखने का मन बनाया था.

 

कच्चे माल के सबसे विश्वस्त स्रोत के तौर पर उन्होंने विन्सेंट और उसके भाई थियो के बीच चले पत्रव्यवहार पर निर्भर रहना तय किया था. इसके अलावा विन्सेंट से कैसा भी सम्बन्ध रख चुके जितने लोगों से मुलाक़ात या पत्रव्यवहार संभव था, वह किया गया.

 

अपने शोध के दौरान इरविंग स्टोन ने सुन रखा था कि अपनी मौत से दो साल पहले एक अजीब भावनात्मक क्षण में विन्सेंट ने अपना कान काट कर एक वेश्या को तोहफे में दे दिया था.

 

दिसंबर 1888 में घटी इस घटना के गवाह डाक्टर फीलिक्स रे ने 1930 में इरविंग स्टोन को बाकायदा एक चिठ्ठी लिख कर इस घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि उन्हें विन्सेंट का पूरा कान काटना पड़ा था. इसके बाद ही स्टोन ने इस घटना को किताब में जगह दी.

 

1931 में किताब पूरी हुई और सात प्रकाशकों ने इसे छपने लायक न मानते हुए इसकी पांडुलिपि को वापस किया.

 

अंततः तीन साल बाद किताब छपी और उसके बाद जो घटा वह किताबों की दुनिया के इतिहास का हिस्सा बन चुका है.

 

पिछले सौ से भी अधिक सालों में विन्सेंट वान गॉग दुनिया का सबसे महबूब कलाकार बन चुका है. उसे लेकर गीत रचे गए हैं, कोई पचास फ़िल्में और डॉक्यूमेंट्रीज़ बन चुकी हैं, सैकड़ों किताबें लिखी जा चुकी हैं और असंख्य शोध लगातार हो रहे हैं.

 

फिर भी ‘लस्ट फॉर लाइफ में कुछ तो है जो यह अपने प्रकाशन के लगभग नब्बे सालों बाद भी दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने और पढ़ी जाने वाली किताबों की सूची में अपनी जगह बनाए रखती है.

विन्सेंट वैन गॉग सबसे प्रसिद्ध डच चित्रकार हैं जिन्होंने हमेशा के लिए 20 वीं शताब्दी के सर्वश्रेष्ठ चित्रकारों में से एक के रूप में विश्व कला के इतिहास में प्रवेश किया।

 

उनके द्वारा बनाई जाने वाली पेंटिंग्स अपने में ढेरों भावनाएं समाए होती थी. वह हर किसी के दिल को छूती थी. शायद यही कारण था कि उनके हुनर को विलक्षण श्रेणी में रखा गया.

 

हालांकि, इस विलक्षण कलाकार का व्यक्तिगत जीवन कुछ खासा अच्छा नहीं था. वह पूरी जिंदगी अपने मानसिक रोग से लड़ते रहे और उनकी आथिर्क स्थिति हमेशा उनके संयम का इम्तिहान लेती रही.

 

इन्हीं हालातों ने उनके हुनर को और तराशा और वह विश्व विख्यात हुए.

बावजूद इसके यह हैरान कर देने वाला तथ्य है कि इस महान कलाकार के हुनर को उनके जीते जी वह सम्मान नहीं मिला, जो मिलना चाहिए था!

आज भले ही उनकी मौत के बाद उनकी बनाई तस्वीरें मिलियन डॉलर में बिकती हैं. मगर जीते जी यह कलाकार पैसों की तंगी से जूझता रहा. शायद यही कारण था कि मजह 37 साल की आयु में वैन गोघ ने आत्महत्या कर हमेशा के लिए अपनी आंखें मूंद लीं थीं.

 

आईए जानते हैं कैसे शुरु हआ था इस महान कलाकार का सफर और आखिर वह कौन से हालात थे, जिन्होंने वैन को आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया-

 

मां से विरासत में मिला चित्रकला का गुर

विन्सेंट वैन गोघ का जन्म 30 मार्च 1853 को नीदरलैण्ड के ग्रूट क्षेत्र में हुआ था. उनके पिता थियोडोरस वैन गोघ ओस्टेरे शहर के मंत्री थे और मां एना कोरनेलिआ एक कलाकार थीं.

 

वह तरह-तरह की चित्रकला करती थीं. मतलब आप समझ सकते हैं कि कैसे वैन में चित्रकला का इतना अद्भुत हुनर आया होगा. वैन गोघ के दो छोटे भाई और दो बहने भी थीं.

 

परिवार बड़ा होने के कारण घर में आर्थिक तंगी की स्थिति अक्सर रहती थी.इसी के चलते 15 साल की उम्र में वैन गोघ को अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी. स्कूल छोड़ने के बाद वैन ने अपने अंकल के आर्ट शॉप पर डीलर की नौकरी करनी शुरु कर दी.

 

इस दौरान वैन का झुकाव न सिर्फ चित्रकला की और बढ़ा, बल्कि उन्होंने अपनी देशी भाषा डच के अलावा जर्मनी, फ्रैंच और इंग्लिश भाषा पर भी अच्छी पकड़ बना ली.

 

करीब 20 साल बाद 1873 में वैन को लंडन में भेज दिया गया. चित्रकला के प्रति बढ़ता प्यार लगातार उन्हें अपनी ओर खींच रहा था. यही वजह थी कि वह अपने खाली समय में लंदन की अन्य आर्ट गैलरी में जाकर अन्य कलाकारों की कला को निहारते रहते थे.

 

हालांकि, किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था. वैन को चर्च से निकाल दिया गया.

अपने जीवन से हताश वैन ने अब मन बना लिया कि वह अपनी भावनाओं को कैनवस पर पेंटिंग के रुप में उतारेंगे और अपनी कला के जरिए ही लोगों तक अपनी बात पहुचाएंगे. वैन इल नए रास्ते पर निकल तो पड़े थे, लेकिन यह इतना आसाना नहीं था.

 

लोगों द्वारा उनकी पेंटिंग्स को लेकर दी जाने वाली प्रतिक्रिया हमेशा उन्हें मायूस कर देती थी. उनकी अधिकतर पेंटिंग्स को बेकार कह कर नकार दिया जाता था.

 

वैन ने कभी हार नहीं मानी

बल्कि खुद को बेहतर कलाकार बनाने के लिए 1881 में उन्होंने ब्रुसेल्स अकादमी से वाटर कलर पेंटिंग करने की कला सीखी.

अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वैन ने डच परिदृश्य चित्रकार एंटोन माउवे के साथ काम करना शुरु किया. उनसे परिदृश्य चित्रकला के गुर सीखने के बाद आखिरकार 1885 में वैन ने एक पेंटिंग बनाई, जिसका नाम पोटैटो इटरस था.

 

इस पेंटिंग को उनकी मौत के बाद बहुत सराहा गया था और इसे एक नायाब पेंटिंग का खिताब दिया गया. इसके बाद वैन 1886 में पेरिस अपने छोटे भाई थीओ के पास आ गए और उसके साथ ही रहने लगे. पेरिस आने के बाद वैन ने अपने काम को और बेहतर करने के लिए अलग-अलग कलाकारों द्वारा लिखी गई किताबों से ज्ञान लेना शुरु कर दिया.

 

इतना ही नहीं वह अक्सर दूसरे चित्रकारों से मिलते थे और उनसे उनके काम के बारे में बात करते थे. वैन अपना अधिकतर समय अपनी पेंटिंग्स बनाने में ही बिताते थे.

वह अलग-अलग तरह की चित्रकला करते थे, जिनमें ऑयल पेंटिंग, ड्राइंग, स्केच और पोर्ट्रेट इत्यादि शामिल थे.

 

मानसिक तनाव बना मौत की वजह!

यकीनन अपने जीवन में तरह-तरह के हालातों का सामना कर वैन गोघ एक परिपक्व कलाकार बने. मगर उन सब चीजों ने कहीं न कहीं वैन को मानसिक तौर पर प्रभावित किया.

 

नतीजतन अपनी उम्र के 37वें साल तक आते-आते वह मानसिक रुप से बीमार रहने लग गए!

कई बार वह अपने होश खोकर पेंट को खाने लग जाते थे. वैन की दिमागी हालत को देखते हुए उनके छोटे भाई थियो और थियो की पत्नी वैन के साथ रहने लगे.

 

दिन प्रतिदिन बिगड़ती वैन की हालत अब थियो के लिए भी चिंता का विषय बन गई थी, जिसे देखते हुए उन्होंने वैन को मानसिक रोगियों के अस्पताल में दाखिल करवा दिया. अपनी खराब मानसिक स्थिति के बावजूद चित्रकला के प्रति वैन की चाहत कम नहीं हुई और उन्होंने अस्पताल के बाग में जाकर फिर से अपनी पेंटिंग बनानी शुरु कर दी.

 

इस दौरान उन्होंने अपने जीवन की प्रसिद्ध पेंटिंग में से दो ‘लरिसिस और ‘द स्टैरी नाइटबनाई.

 

मगर जैसे-जैसे समय बीत रहा था वैन की समस्या गंभीर होती जा रही थी. वह लगातार तनाव ग्रस्त रहने लगे थे. वह छोटी छोटी बातों पर इतना परेशान हो जाते थे कि उनकी तबियत बिगड़ जाती थी.

 

आखिरकार वैन के तनाव की सीमा पार हुई और 27 जुलाई 1890 को सुबह के समय पेंटिंग बनाते हुए अचानक वैन ने पिस्टल उठाई और खुद ही अपनी छाती में गोली मार ली!

 

वैन को तुरंत अस्पताल ले जाया गयालेकिन कुछ दिन बाद वैन की मौत हो गई.वैन की मौत का सबसे बड़ा धक्का उनके भाई थियो को लगा थाक्योंकि थियो सिर्फ वैन के भाई ही नहींबल्कि व्यापारिक साथी भी थेवैन की बनाई पेंटिंग को आगे बेचते थे.

इस तरह दुनिया का एक बड़ा पेंटर खुद अपनी मौत का ज़िम्मेदार बन गया.

डच चित्रकार विनसेंट वान गफ ने जिस पिस्तौल से खुदकुशी की थी, वह सवा करोड़ रुपए में नीलाम हुई।

पेरिस में इसकी नीलामी की गई। हालांकि, आयोजकों ने उस व्यक्ति के नाम के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है, जिसने पिस्तौल खरीदी। उनका कहना है कि कला की दुनिया में यह सबसे चर्चित हथियार है।

हालांकि, आयोजक इस बात की पुष्टि नहीं कर सके कि इसी पिस्तौल से गफ ने खुदकुशी की थी। उनका कहना है कि गफ की मौत के लगभग 75 साल बाद यह हथियार उसी जगह से मिला था, जहां गफ का शव पाया गया।

 

पिस्तौल का कैलिबर भी गफ के पेट में मिली गोली से मेल खाता है। वैज्ञानिक जांच से भी पता चला कि 1890 के बाद से पिस्तौल जमीन में दबी हुई थी।

 

पेट में गोली मारकर खुदकुशी की थी

गफ ने 1890 में पेट में गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी। 1965 में 7 एमएम की यह पिस्तौल एक किसान को ऑवर्स-सुर-ओइस गांव के उस खेत में से मिली थी, जहां गफ का शव पाया गया था। उसने वहां के एक होटल के मालिक को सौंप दिया। तब से यह हथियार होटल मालिक के परिजन के पास था। 2016 में इसे गफ के म्यूजियम में रखा गया।

 

मरने के बाद मिली असल सफलता!

वैन ने अपने पूरे जीवन में करीब 860 ऑयल पेंटिंग्स, 1300 से अधिक वाटर कलर पेंटिंग और ढेरों स्कैच बनाएं. उनकी कुछ पेंटिंग की कीमत मिलियन डॉलर में है, जिन्हें कला के दीवाने खरीदने के लिए उत्साहित रहते हैं.

 

आज चाहे वैन दुनिया को अलविदा कह गए हैं, लेकिन उनकी विरासत को आज भी बड़े प्यार और आदर सम्मान के साथ 1973 में उनके नाम पर खोले गए संग्रहालय में संजो कर रखा गया है.

 

यह संग्रहालय एम्सटरडैम में है, जहां वैन गोघ की बनाई गई 200 पेंटिंग्स, 500 ड्राविंग और 750 लिखित दस्तावेज संभाल के रखे गए हैं.

 

इनमें वह चिट्ठियां भी शामिल हैं, जिन्हें वैन ने अपने भाई थियो को लिखा था.आज भी हजारों लोग इस संग्रहालय में जाकर वैन की अद्भुत कला को निहारते हैं और उस अनोखे कलाकार की सोच को जानने की कोशिश करते हैं.

 

विन्सेंट आज भले ही इस दुनिया में नहीं हैं मगर वह जिंदा हैं अपनी बनाई पेंटिंग्स में. आज भी लोग उनकी पेंटिंग को देख कर उसके भाव को समझने की कोशिश करते हैं.

 

माना जाता है कि आज से कई सालों बादजब भी इतिहास के बड़े पेंटरों का नाम लिया जाएगा तो उसमें विन्सेंट का नाम जरूर आएगा!

 

विन्सेन्ट वैन गॉग के जीवन में अकेलेपन की विशेषता थी। उसे चर्च द्वारा खारिज कर दिया गया था और प्यार की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। परिवार और दोस्त उसके खिलाफ हो गए जब तक कि उसने आखिरकार आत्महत्या नहीं की।

विन्सेन्ट वैन गॉग का जन्म 1853 में एक पादरी के यहाँ हुआ था। उन्होंने जल्दी स्कूल छोड़ दिया और अपने परिवार द्वारा एक कला की दुकान के लिए काम करने के लिए मजबूर हो गए। नतीजतन, वह लंदन में समाप्त हो गया।

 

वहां उसे अपने पहले प्यार, उसकी मकान मालकिन की बेटी से मिला, लेकिन उसने उसे अस्वीकार कर दिया। टूटे हुए दिल के साथ, वैन गॉग 1875 में पेरिस चले गए। बाद के वर्षों में उन्होंने खुद को धर्म के लिए समर्पित कर दिया, लेकिन कई निराशाओं के बाद आखिरकार वे ईसाई धर्म से दूर हो गए।

 

केवल 27 साल की उम्र में ही वैन गॉग ने पेंटर बनने का फैसला कर लिया था। उन्हें उनके भाई थियो, एक कला डीलर द्वारा वित्तपोषित किया गया था, जिसे विंसेंट ने पैसे के बदले में अपनी पेंटिंग भेजी थी।

 

वान गाग कलाकारों से मिलने के लिए ब्रसेल्स चले गए, लेकिन लंबे समय में वह न तो खुश थे और न ही सफल, इसलिए वह अपने माता-पिता के साथ वापस चले गए।

 

घर पर, वह अपने एक चचेरे भाई के साथ प्यार में पड़ गया, लेकिन उसका प्यार अनुत्तरित रहा और एक पारिवारिक विवाद का कारण बना, जिसके परिणामस्वरूप वह फिर से बाहर चला गया।

 

नीदरलैंड में कुछ वर्षों के बाद, वैन गॉग 1886 में पेरिस में अपने भाई थियो में चले गए। इस दौरान उन्होंने प्रभाववाद की ओर रुख किया। उन्होंने हल्के रंगों के साथ प्रयोग किया और पेंटिंग की विभिन्न तकनीकों को आजमाना शुरू किया। पेरिस में दो साल के बाद, वैन गॉग को थियो के लिए काम करने के लिए मार्सिले में जाना था, लेकिन वह आर्ल्स में फंस गया।

 

वहां वैन गॉग "एटलियर्स डेस स्यूडेंस" बनाना चाहते थे, एक ऐसी जगह जहां कलाकार रह सकते हैं और साथ काम कर सकते हैं। केवल पॉल गाउगिन ने उनके निमंत्रण को स्वीकार किया। केवल दो महीनों के बाद, दोनों एक तर्क में एक साथ रहते थे, जिसके परिणामस्वरूप वैन गॉग ने अपने अधिकांश बाएं कान काट दिए। चोट इतनी गंभीर थी कि अगले दिन खून की कमी के कारण उन्हें बाहर निकाल दिया गया।

 

इसके बाद, वैन गॉग को स्पष्ट रूप से एक मानसिक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन वहां भी उनकी मदद नहीं की जा सकी। कुछ महीनों के बाद, वैन गॉग ने आत्महत्या का प्रयास किया जब उसने विषाक्त पेंट को निगलने की कोशिश की।

 

इस समय के दौरान, थियो ने वान गाग के कुछ चित्रों को एक प्रसिद्ध कला प्रदर्शनी में प्रस्तुत किया। प्रतिक्रियाएं बेहद सकारात्मक रही हैं। वान गाग को अपने जीवन में पहली बार कलात्मक पहचान मिली। लेकिन सफलता ने उसे खुश करने के बजाय डांट दिया।

 

उन्होंने मानसिक अस्पताल को छोड़ दिया और ऑवर्स में चले गए। थियो में दो छोटी यात्राओं के बाद, जिनमें से प्रत्येक एक विवाद में समाप्त हो गया, और एक और उसके डॉक्टर की बेटी के साथ असफल प्रेम संबंध थे, वैन गॉग ने 27 जुलाई, 1890 को पिस्तौल से खुद को सीने में गोली मार ली।

 

गंभीर चोट के बावजूद, वह अपनी सराय लौट आया और केवल दो दिन बाद अपने भाई की उपस्थिति में उसकी मृत्यु हो गई। वैन गोघ ने खुद को क्यों मारा, अभी तक स्पष्ट नहीं किया गया है।

मौत की मंशा के बारे में कई अटकलें हैं। कुछ लोग दावा करते हैं कि वह नहीं चाहता था कि थियो, जिसे अपने परिवार का ख्याल रखना है, एक बोझ बनना है, और यहां तक कि यह भी उम्मीद है कि उनकी मृत्यु से उनके चित्रों की कीमत बढ़ जाएगी। अन्य सिद्धांतों का कहना है कि हत्या करने के लिए कोई वास्तविक इरादे के साथ मदद के लिए प्रयास सिर्फ एक रोना था।

 

कलाकार का निजी जीवन

वैन गॉग को कभी भी वास्तविक बड़ा प्यार नहीं था। वह अक्सर महिलाओं से प्यार करता था और जल्दी ही उन्हें भूल जाता था। लेकिन ज्यादातर उन्हें हमेशा एकतरफा प्यार का सामना करना पड़ा। उनकी उपस्थिति ने विपरीत लिंग के प्रतिनिधियों के बीच प्रशंसा नहीं जगाई। विन्सेंट अक्सर यौन असंतोष से पीड़ित होता था, जिससे उसकी मानसिक स्थिति प्रभावित होती थी।

 

अपने जीवन के अंतिम वर्षों में, वान गाग अक्सर वेश्याओं का दौरा करते थे, और इसलिए विभिन्न यौन रोगों को उठाते थे, जिससे कलाकार का पहले से ही खराब स्वास्थ्य खराब हो गया था।

 

समाधि-लेख- वान गाग को समर्पित आर्सेनी टारकोवस्की की एक कविता से

मैं अपने लिए खड़ा हूँ, और मेरे ऊपर मंडरा रहा हूँ

सरू एक लौ की तरह घूमता रहा।

नींबू क्रोन और गहरा नीला

उनके बिना मैं खुद नहीं बन जाता;

मैं अपने स्वयं के भाषण को अपमानित करता

जब मैं किसी और का बोझ अपने कंधों पर फेंक देता।

और एक परी की यह अशिष्टता, किसके साथ

वह मेरी रेखा को अपना स्मियर बनाता है,

आपको उनके शिष्य के माध्यम से भी ले जाता है

जहां वान गाग सांस लेते हैं।

The End

Disclaimer–Blogger has posted this short write up ‘Lust for life’ विन्सेंट वैन गोघ की जीवनी:- अपनी मौत के बाद विख्यात होने वाले डच चित्रकार विनसेंट वान गफ ने जिस पिस्तौल से खुदकुशी की थीवह सवा करोड़ रुपए में नीलाम हुई”। with help of materials and images available on net. Images on this blog are posted to make the text interesting.The materials and images are the copy right of original writers. The copyright of these materials are with the respective owners.Blogger is thankful to original writers.