Thursday 22 February 2024

खानजादा बेगम: बाबर की बहन वो शहजादी जिसने भाई को तख्त दिलाने के लिए दुश्मन से शादी कर ली मुगल साम्राज्य की सबसे शक्तिशाली महिला.

बाबर ने भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखी. इतिहास में इसका जिक्र भले ही सुनहरे अक्षरों में किया गया हो, लेकिन इसका श्रेय उसकी बड़ी बहन खानजादा बेगम को जाता है. वही खानजादा जो भाई को तख्त दिलाने के लिए परिवार के सबसे बड़े दुश्मन की बीवी बन गई.

 

1478 में जन्मी, खानजादा बेगम उमर शेख मिर्जा और उनकी पहली पत्नी कुतलुग निगार खानम की सबसे बड़ी बेटी थी, जो मुगलिस्तान की राजकुमारी थीं। बाबर खानजादा का छोटा भाई था और 1483 में उसके जन्म के 5 साल बाद पैदा हुआ था।

 

खानजादा, एक शहज़ादी, जिनका जीवन प्रमुख रूप से बलिदान और आघात से भरा था, मुगल साम्राज्य की प्रारंभिक स्थापना के निर्णयों के पीछे अपनी दादी ऐसन दौलत बेगम के साथ शामिल थीं। उन्हें मुगल साम्राज्य की सबसे शक्तिशाली महिला के रूप में जाना जाता है।

हिंदुस्तान आने से पहले बाबर की जान एक बार मुश्किल में पड़ गई थी। वह जिंदा बच पाया तो खानजादा बेगम की वजह से, जिसके दिमाग का लोहा दुश्मन भी मानते थे।

 

भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखी जहीरुद्दीन मोहम्मद बाबर ने, यह तो सभी जानते हैं। लेकिन बाबर हिंदुस्तान आने के लिए जिंदा बच पाया अपनी बड़ी बहन की वजह से, यह बात कम ही लोगों को पता है।

 

फरगना के अमीर उमर शेख मिर्जा द्वितीय की बड़ी बेटी और बाबर की बड़ी बहन खानजादा को इतिहास के पन्नों में उतनी जगह नहीं मिली, जितनी की वह हकदार थीं।

 

तैमूर वंश की इस राजकुमारी की खासियत को फिल्मी स्टाइल में कुछ बयां कर सकते हैं- 'ना तलवार से ना आग से, जंग जीतते हैं दिमाग से' दुश्मन को अपनी सियासी चालों में फंसाने में माहिर थीं खानजादा। यहां तक खुद को भी इसके लिए दांव पर लगाने से पीछे नहीं हटीं।

 

पहले मुगल बादशाह बाबर की जीवनी 'बाबरनामा' में उसकी बड़ी बहन खानजादा की चर्चा मिलती है। इसमें जिक्र है कि किस तरह अपने खानदान की जिंदगी और इज्जत की हिफाजत के लिए वह खुद से आगे आईं। उस वक्त तक 1526 की पानीपत की पहली लड़ाई नहीं हुई थी।

Mughal King Zahiruddin Babur

बाबर दिल्ली के तख्त पर बैठने की जगह मध्य एशिया में जंग के मैदानों की धूल फांक रहा था। दरअसल, आज जहां तुर्की है, उस इलाके को अपने अधीन लाने के लिए तब जबरदस्त लड़ाई चल रही थी।

 

बाबर का सामना हुआ उज्बेक सरदार शायबानी खान से। इस जंग में बाबर भारी मुसीबत में पड़ गया। शायबानी ने बाबर की फौज को छह महीने तक समरकंद में घेर कर रखा। बाबर की फौज के लिए भूखों मरने की नौबत गई।

 

हालत ऐसी हो गई कि कुत्ते और गधे का मांस खाना पड़ रहा था। ऐसी दुश्वारी के बीच अचानक राहत की खबर मिली। शायबानी खान ने घेराबंदी हटाकर सुलह की पेशकश की, लेकिन इसकी एक शर्त थी। वो ये कि बाबर की बड़ी बहन खानजादा की शादी शायबानी के साथ करनी होगी।

 

खानजादा ने अपने भाई और बाकी परिवार की जान बचाने के लिए इस शर्त को कबूल करने का फैसला किया। उस वक्त वह 23 साल की थीं। परिवार के लिए खुद को दुश्मन सरदार के हाथों सौंप दिया। खानजादा को घोर बेइज्जती झेलनी पड़ी। यहां तक कि उन पर शारीरिक अत्याचार भी हुए।

 

खानजादा की पूरी कहानी को समझने के लिए 1500 के उस दौर में चलना होगा, जब बाबर मध्य-एशिया के जंग के मैदानों में धूल फांक रहा था.

 

वो तुर्की का इलाका था जिसे बाबर अपने आधीन करने की जद्दोजहद में व्यस्त था. फिर बाबर का मुकाबला हुआ उज्बेकिस्तान के सरदार शायबानी खान से. यही उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट था.

 

जंग में शायबानी बाबर पर भारी पड़ा और 6 माह तक उसे समरकंद में घेरे रखा. आलम यह था कि बाबर के सैनिक दो जून की रोटी को तरस गए थे. भूखे मरने की नौबत गई थी.

Shaybani Khan

शायबानी के घेरे से जिंदा बाहर निकलने में बड़ी बहन और फरगना के अमीर उमर शेख मिर्जा द्वितीय की बेटी खानजादा ने मदद की. वही खानजादा जिसे इतिहास में वो तवज्जो नहीं मिली जिसकी वो हकदार थीं.

 

खानजादा ने जब शायबानी खान से शादी का फैसला किया उस वक्त वो 23 साल की थीं. उनके उस फैसले का विरोध परिवार के हर शख्स ने किया. उन्होंने शारीरिक अत्याचार तक झेले. शादी के बाद उनका बेटा हुआ, नाम रखा गया है खुर्रम, लेकिन कुछ ही समय बाद उसकी मौत हो गई.

 

शादी के बाद भी खानजादा का तैमूर वंश की तारीफें करना शायबानी खान को बर्दाश्त नहीं रहा था, नतीजा, दोनों के रिश्ते बिगड़ने लगे. एक दिन ऐसा भी आया जब दोनों ने एक-दूसरे को छोड़ने का फैसला लिया, लेकिन शायबानी का साथ छूटना इतना भी आसान नहीं था. उसने खानजादा का विवाह जबरन अपने फौजी सैयद हादा के साथ कर दिया.

शायबानी और शाह इस्माइल के बीच 1510 में जंग हुई जिसमें सैयद हारा मारा गया. जंग के बाद खानजादा शाह इस्माइल की कैद में पहुंच गईं, लेकिन जब उसे जानकारी मिली वह बाबर की बहन है तो उन्हें बाबर के पास भेज दिया गया. करीब 10 साल बाद उनकी परिवार में वापसी हुई.

 

वापसी के बाद उनकी तीसरी शादी हुई. मोहम्मद महदी ख्वाजा से उनका निकाह कराया गया.

उन्हें मुगलवंश की ताकतवर औरत के तौर पर जाना गया. ‘हिंदुस्तान की पादशाह बेगमका खिताब दिया गया. मुगल वंश का हर बादशाह उनकी कुर्बानी को नहीं भूला.

 

1545 में उन्होंने काबुल में अंतिम सांस ली. उन्हें वही दफनाया गया जहां बाबर दफन था. काबुल में उस जगह कोबाग--बाबरके नाम से जाना गया. करीब एक साल पहले आई वेब सीरीज एम्पायरमें उनकी कहानी को दिखाया गया और उनका किरदार निभाया था एक्ट्रेस दृष्टि धामी ने.

The End

Disclaimer–Blogger has prepared this short write up with help of materials. Images on this blog are photographed by me.  The materials are the copy right of original writers. The copyright of these materials are with the respective owners.Blogger is thankful to original writers.


























No comments: